Sunday, 25 February 2018

बाबा मोहन राम के घोड़े को पत्थर का बनाना व पहाड़ को मोम का बन जाना

मेरे बाबा के प्रेमियों जब बाबा मोहन राम ने नंदू को साक्षात दर्शन दिए थे। तो उसी दिन से ही भगत नंदू ने पूरा ध्यान बाबा जी के चरणों में लगा दिया। गायों को चराता और वही पहाड़ में किसी पत्थर पर बैठकर बाबा के भजन में लीन हो जाता। धीरे-धीरे समय बीतता गया उसे बाबा के फिर दर्शन की लालसा पैदा हो गई। अब तो वह दिन रात यही माला रटने लगा कि हे बाबा मुझे दर्शन देकर मेरी आत्मा की प्यास को बुझाओ। जब इसी लालसा में कई वर्ष बीत गए। तब भी बाबा मोहन राम ने भगत नन्दू को दर्शन नहीं दिए। तो अचानक नन्दू को क्रोध आ गया (भक्तों यह बाबा की ही लीला थी)वह गुस्से से बोला, "है बाबा क्या पत्थर का हो गया है जो दर्शन ही नहीं देता" उसके इतना कहते ही उसने देखा कि बाबा मोहन नीले घोड़े सहित पत्थर का था और पहाड़ मोम का बन गया था। घोड़ा कुछ कदम चला पहाड़ मोम का बन जाने के कारण घोड़े के पैर पहाड़ पर कीचड़ की तरह फंस रहे थे। कुछ कदम चलने पर बाबा तो घोड़ा सहित अंतर्ध्यान हो गए।मगर पहाड़ में घोड़े के खुर बने रह गए। जो पहाड़ में आज भी मौजूद हैं। प्रिय भक्तों खोली में जोत जलाने के बाद इस पवित्र खुरो के दर्शन करके तथा इनमें भरे पानी को श्रद्धा से अपनी आंखों पर लगाना जरूरी है। ऐसा करने से भक्तों के अंदर तमाम विकार खत्म होते हैं।
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🙏🙏 बोलो बाबा मोहन राम की जय🙏

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बाबा मोहन राम के घोड़े को पत्थर का बनाना व पहाड़ को मोम का बन जाना

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