करीब 1530 ई० की बात है। राजस्थान के अलवर जिले की तीजारा तहसील के गांव मिलकपुर में एक नन्दूू नाम का ब्राह्मण रहता था,जो नित्य प्रतिदिन मिलकपुर की पहाड़ियों के घने जंगल में अपनी गायों को चराया करता था। उसकी भगवान श्री कृष्ण के प्रति अटूट श्रद्धा भक्ति थी। एक दिन भगवान श्री कृष्ण ने अपने भक्तों नन्दू के भक्ति भाव से प्रसन्न होकर अपने दर्शन देने की सोची और अपने अद्भुत चमत्कार दिखाने प्रभाव किये। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी माया द्वारा रचित अद्भुत गाय नंदू की गायों में चरने के लिए छोड़ दी,वह गाय प्रतिदिन प्रातः नंदू भक्त की गायों के साथ आकर चरती और शाम होने पर पहाड़ी की ओर जाकर लुप्त हो जाती,ऐसा कई महीनों तक चलता रहा एक दिन नंदू भगत ने सोचा कि यह गाय प्रतिदिन प्रातः काल आकर मेरी गायों के साथ चरती है और शाम होने पर पहाड़ियों में जाकर न जाने कहां लुप्त हो जाती है। मुझे पता करना चाहिए कि यह गाय किसकी है,और दूसरे दिन नंदू गाय को चराकर शाम होने पर अपने गांव की ओर जाने लगा तो वह गाय प्रतिदिन की तरह अन्य गाय से अलग होकर पहाड़ियों की और चल दी। नंदू भगत भी उस गाय के पीछे पीछे हो लिया। आगे जाकर वह गाय पहाड़ियों के बीच अद्भुत गुफा में प्रविष्ट हो गई।
नंदू भगत भी उनके पीछे-पीछे गुफा में ही पहुंच गया गुफा में प्रवेश करते ही नंदू को एक अद्भुत तेज का आभास हुआ यह देखने के लिए कि वह तेज कहां से आ रहा है। वह आगे बढ़ा सामने ही अत्यंत तेजस्वी जटाधारी बाबा धूनी रमाए बैठे थे। नंदू ने बाबा को दंडवत प्रणाम किया। बाबा भोले आओ भक्तों नंदू कहो कैसे आना हुआ। अपना नाम बाबा के मुख से सुनकर नंदू अचंभित रह गया और बोला बाबा आप मेरा नाम कैसे जानते हैं। इससे पहले तो मैं आपसे कभी नहीं मिला हूं । और कृपा कर बताएं कि आप कौन हैं और इस अद्भुत गुफा में क्या कर रहे हैं। भगवान श्रीकृष्ण मुस्कुराए और नंदू भगत को बावन रूप बाल स्वरूप दर्शन दिए।अब तो नंदू के हर्ष की कोई सीमा न रही,
भगवान श्री कृष्ण के अवतारी रूप बाबा मोहन राम के चरणो में गिर गया। उसके मुख से कोई और बोल नहीं फूट रहे थे। बाबा बोले नंदू वास्तव में तुम मेरे परम भक्त हो मेरे प्रति तुम्हारी अटूट श्रद्धा भक्ति को देखकर ही मुझे तुम्हें दर्शन देने भूलोक पर आना पड़ा है। मैं ही प्रतिदिन अपनी गाय तुम्हारे गायों के साथ चरने को छोड़ दिया करता था। इसलिए तुम्हारी मेरी तरफ एक गाय की जितनी चराई बनती है,मांग लो। जो भी तुम मुझसे मांगोगे, मैं तुम्हें अवश्य दूंगा। इतना सुन नंदू भगत भगवान श्री कृष्ण के आगे हाथ जोड़कर नमन अवस्था में बोला भगवान आपने मुझ गरीब ग्वाले को दर्शन देकर कृतार्थ कर दिया है। मैं यह इस योग्य कहा था कि मुझे आपके दर्शन होते। मुझ पर आप की असीम कृपा हुई कि आपने मुझे दर्शन दिए। ये ही मेरे लिए कम नहीं है। अब मैं आपसे और क्या मांगू।
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